जब विश्वामित्र् आकर दशरथ से राम और लक्ष्मण को माँगते हैं, तो पिता के कहने पर राम चल देते हैं। यह भविष्य् के चौदह वर्ष के वनवास की उनकी एक प्रकार से पूर्व- तैयारी थी, उसका पूर्वाभ्यास था। ठीक है। पिता ने कहा। राम ने इसके खिलाफ कुछ नहीं कहा। पिता की आज्ञा मानी और चुपचाप चल दिए। लेकिन बाद में वे चौदह वर्ष के लिए वनवास क्यों गए? क्या पिता ने इसके लिए भी राम से कहा था? … [Read more...]
About Dr. Vijay Agrawal
An eminent author and a prolific orator, Dr. Vijay Agrawal has motivated young and old alike to bring out the best in them. His discourses on Life-Management have won him laurels from across the nation; whereas more than 80 books emanating from his pen have earned him adoration of countless readers. A man of letters, he uses his words judiciously. Still, more than his words, it … [Read more...]
भ्रष्टाचार पर समुद्र मंथन की जरूरत
भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ होने वाले तथाकथित दो जन आन्दोलन खत्म हो गये हैं। आन्दोलन के दौरान बेहद उत्तेजित एवं उल्लसित जनभावनायें आज उतनी उत्तेजित दिखाई नहीं दे रही हैं। फिलहाल इस मुद्दे को लेकर कुछ प्रश्न दिमाग में कुलबुला रहे हैं, जिनके उत्तर मिलने ही चाहिए। … [Read more...]
मरना भी महंगा है जहाँ
अमेरिका के लास एंजलिस में हालीवुड के नामी-गिरामी एक्टर और एक्ट्रेस ही नहीं रहते, रामजी भाई पटेल भी रहते हैं। मझोले कद के रामजी भाई पटेल- सिर घुटा हुआ, गाल थोड़े से उभरे हुए और चमकती हुई चौकन्नी आँखें। मुझे उनकी बातें सुनने में म्यूजिक जैसा सुख मिलता था, … [Read more...]
धैर्य का महत्व
हमारे लोग धैर्य के महत्त्व को, इसके जादुई करिश्मे को अच्छे से जानते थे। वे प्रकृति के इस सिद्धान्त से अपने जीवन के सिद्धान्त निकालते थे कि जो कुछ भी होता है, वह समय के अनुकुल ही होता है। गीदड़ की जल्दबाजी में कभी बेर नहीं पकते। और यदि गीदड़ जल्दबाजी करेगा, तो निश्चित रूप से किसी न किसी के हाथों मारा जायेगा। … [Read more...]
नेतृत्त्व करें
नेतृत्त्व करें, अनुकरण नहीं। ज्यादातर लोग अनुकरण करना चाहते हैं, क्योंकि ऐसा करना सबसे आसान होता है। इसके लिए न तो सोचना पड़ता है और न ही किसी तरह की कोई जहमत उठानी पड़ती है। … [Read more...]
आध्यात्मिकता और आन्तरिक सन्तुलन
सच पूछिये तो आध्यात्म और कुछ भी नहीं, बल्कि आपका अपना ही आन्तरिक संतुलन है। मैं यह मानता हूँ, और मैंने इसे पूरी संवेदनशीलता के साथ बहुत गहराई से महसूस भी किया है कि जब हमारा आन्तरिक संतुलन कायम रहता है, … [Read more...]
जीवन में सुनने का महत्व
मित्रों, मेरी सलाह मानिये और अपनी जिन्दगी में सुनने को ज्यादा महत्व देना शुरू कर दीजिये। आप देखेंगे कि कैसे ज्ञान के स्तर पर, एकाग्रता के स्तर पर कम्युनिकेशन स्किल के स्तर पर और कुल-मिलाकर यह कि आपके अपने व्यक्तित्व के स्तर पर कितने अधिक सकारात्मक परिवर्तन होने शुरू हो जायेंगे … [Read more...]
आस्था को मजबूत करें
हमारी आस्था हमारे जीवन की सबसे बड़ी दौलत होती है। हममें यह आस्था पैदा हो, वह आस्था बनी रहे और दिन-प्रतिदिन मजबूत होती जाये, इसके लिए हमें इन कुछ बातों पर ध्यान देना चाहिए - … [Read more...]
सफलता का अर्थ
मेरे प्रिय युवा साथियों, यदि मैं आपसे सफलता की परिभाषा पूछूँ, तो मैं जानता हूँ कि आपका उत्तर क्या होगा। आपका उत्तर यही होगा कि जिस उद्देष्य में हम लगे हुए है, उस उद्देष्य को पा लेना ही सफल हो जाना है। … [Read more...]
आशीर्वाद का विज्ञान
चीन के दार्शनिक लाओत्से ने कहा था कि ‘‘जो यह कहता है कि मैं कुछ नहीं जानता, वही सचमुच में जानता है।’’ … [Read more...]
सिंपल लिविंग के मायने
“मैंने अपने पिता को अपनी कमाई से होंडा की सिविक कार खरीदकर दी, पर वे आज भी लोकल बस और ट्रेन से ही सफर करते हैं । … [Read more...]
बिन साहस सब सून
अधिक तर्क-वितर्क करने यानी कि किसी भी मुद्दे पर बहुत अधिक सोच-विचार करने वालों में भी साहस के गुण की कमी देखी गई है। यहाँ मेरा आशय यह नहीं है कि जो कुछ आप करने जा रहे हैं, उसके बारे में सोच-विचार करें ही नहीं। करें, लेकिन एक सीमा तक यदि आप एक सीमा से आगे बढ़कर सोच-विचार कर रहे हैं, तो यह आपके इस झुकाव को दिखाता है कि आप साहस नहीं कर रहे हैं। … [Read more...]
कौन है राजनीति का अन्ना हजारे?
यदि हम “राजनीति का अन्ना हजारे” ढूँढें, तो निगाह किसकी तरफ उठेगी? यहाँ अन्ना हजारे का मतलब है भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़ने वाला एक ऐसा राष्ट्रीय व्यक्तित्व, जिसका अपना दामन भी पाक-साफ हो। … [Read more...]
ऊर्जा का उत्सव: नवरात्री
हांलाकि हमारे यहाँ आम लोगों के बीच दो ही नवरात्री के दो ही उत्सव अधिक प्रसिद्ध हैं, लेकिन हैं ये कुल पाँच। एक नवरात्री सितम्बर-अक्टूवर माह में आती है, और दूसरी मार्च-अप्रैल में। ठंड के मौसम की शुरूआत में मनाये जाने वाली नवरात्री को, जहाँ महानवरात्री कहा जाता है, वही … [Read more...]
एक गाँव का शोक गीत
लगभग बीस सालों के बाद गया था मैं अपने गाँव चन्द्रमेढ़ा, जो छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के मुख्यालय अंबिकापुर से मात्र पचास किलोमीटर की दूरी पर है। जिस कच्चे स्कूल में मैं पढ़ता था, वहाँ उस दिन भी बच्चे पढ़ रहे थे, किन्तु उस समय का जवान स्कूल आज दमें के रोग से ग्रस्त बूढ़ा स्कूल नजर आ रहा था। … [Read more...]
प्रशासनिक सेवाओं से खारिज किया गया भारत…
इंडियन सिविल सर्विसेस यानि कि भारतीय प्रशासन की रीढ़ की हड्डी, जिसके जरिए न केवल जिला स्तर पर प्रशासन को सम्हालने वाले आय.ए.एस. और आय.पी.एस. अफसरों की ही भर्ती होती है … [Read more...]
स्वतंत्रता और आध्यात्म
स्वतंत्रता। यह बहुत खूबसूरत, बहुत जोरदार, बहुत वजनी, बहुत प्यारा और अद्भुत शक्ति से भरा हुआ शब्द है। सामान्य तौर पर हम सब स्वतंत्रता का राजनैतिक अर्थ ही लगाते हैं। राजनीतिशास्त्र में इसे पढ़ते हैं और देश की आजादी के रूप में इसका उपयोग करते हैं। … [Read more...]
दानदाताओं का अर्थशास्त्र
रतन टाटा के बाद अब अजीम प्रेमजी। रतन टाटा ने पांच करोड़ डालर हावर्ड बिजनेस स्कूल को दिये, तो विप्रो के अज़ीम प्रेमजी ने अपनी कम्पनी के 8.37 प्रतिशत शेयर अपने ट्रस्ट को देने की घोषणा कर दी। 8.37 प्रतिशत शेयर यानी कि की 8846 करोड़ रुपये। लगता है कि भारत के उद्योगपतियों ने वारेन बफेट और बिल गेट्स की आवाज को सुनकर उस पर कार्यवाही करना शुरू कर दिया है। हम सब उम्मीद करते हैं कि बहुत … [Read more...]
ऊर्जामय है यह जगत
आप अभी, जी हाँ अभी तुरंत अपनी दोनों हथेलियों को तेज-तेज रगड़िये, और बताइये कि क्या हुआ। आपकी हथेलियों में गर्मी आ गई होगी। अब मेरा प्रष्न यह है कि यह गर्मी, जिसने आपकी ठंडी-ठंडी हथेलियों को कुनकुनेपन में बदल दिया, वह क्या कहीं बाहर से आई? आपका उत्तर होगा, ‘नहीं’ वह बाहर से नहीं आई है। “तो फिर कहाँ से आई? … [Read more...]
एक रूप यह भी…
8 सितम्बर सन् 2008 और इसके ठीक लगभग सवा छः महिने बाद 17 मार्च सन् 2009 की तारीख। ये दोनों तारीखें अलग से न तो खेल मंत्रालय के रोजनामने में दर्ज हैं, और न ही भारत में बवाल मचाकर पिछले साल सम्पन्न हुए कामनवेल्थ गेम्स के इतिहास में। लेकिन हैं ये दोनों तिथियाँ बेहद महत्वपूर्ण। भले ही इनकी ओर अब तक किसी ने अलग से ध्यान नहीं दिया। मुझे नहीं लगता कि किसी की कुर्बानी की तिथि से भी … [Read more...]
भागमभाग जिन्दगी
भागमभाग की जिन्दगी ने आज हर एक आदमी को परेशान कर दिया है। इस भागमभाग में वह यहाँ तक भूल गया है कि वह भाग किसके लिए रहा है। असल में हो यह रहा है कि इस भागमभाग के कारण हम अपने लोगों को ही भूलते जा रहे हैं। हम अपने ही लोगों के बीच में एक ऐसी अदृश्य दीवार चिनते जा रहे हैं, जो दिखाई तो नहीं देती, लेकिन हमें विभाजित करने का अपना काम तो करती ही रहती है। … [Read more...]
असफल होना सीखें
आज का मेरा यह विषय आपको बहुत उटपटाँग ही नहीं बल्कि एकदम गलत भी लगेगा। गलत इसलिए लगेगा कि अभी तक तो आपको यही बताया जाता रहा है कि आप सफल कैसे होंगे। आखिर हर कोई सफल ही तो होना चहता है। मैं आपको बताने जा रहा हूँ कि असफल कैसे हुआ जाता है। भला यह भी कोई बात हुई कि असफल होना सीखें। लेकिन जी हाँ, थोड़ा धैर्य रखें। मुझ पर झुँझलायें नहीं। पहले मुझे अपनी बात कहने दें। इसके बाद आपका … [Read more...]
अपनी विलक्षणता को खोजें
कहा जाता है कि इस धरती को बने हुए लगभग 6 अरब साल हो गये हैं, और इस पर जीव की उत्पत्ति को लगभग 4–5 करोड़ साल। यह ब्रमाण्ड इतना बड़ा है कि अभी तक इसका ओर–छोर ही पता नहीं लग पाया है। लेकिन हमें जितना कुछ भी पता है, उसके आधार पर मैं आपसे पुछूं कि प्रकृति की सबसे उत्कृष्ट रचना क्या है? तो आपका उत्तर क्या होगा। … [Read more...]