Dr. Vijay Agrawal

  • Home
  • Life Management
  • Blog / Articles
  • Books
    • English
    • Hindi
    • Marathi
    • Gujarati
    • Punjabi
  • Video Gallery
  • About
  • Contact
You are here: Home / Blog / लक्ष्मण को क्यों कंट्रोल नहीं करते थे राम?

लक्ष्मण को क्यों कंट्रोल नहीं करते थे राम?

राम संतुलन के सिद्धांत को भी अच्छी तरह समझते थे। वे स्वयं तो शालीन थे, लेकिन क्या शेष जगत भी शालीन था? यदि नहीं, तो इस अशालीन दुनिया का मुकाबला राम करेंगे कैसे। भले लोग अगर एकदम भले ही बने रहे, तो क्या लोग जीने देंगे इन भले लोगों को। नोंच-नोंचकर खा जाएँगे वे उन्हें। आखिर राम बड़ी शालीनता के साथ पेश हुए तो थे महर्षि परशुराम जी के सामने। लेकिन कहाँ शांत हुए थे परशुराम। सुग्रीव भी तो राजा बनने के बाद भोग-विलास में खो गया था। उसे याद ही नहीं रहा कि राम के साथ की गई संधि को राम ने तो बाली का वध करके पूरा कर दिया था। अब सुग्रीव की बारी थी कि वह सीता का पता लगाए। लेकिन भूल ही गए इस वचन को सुग्रीव महाराज। इस बात पर तो गुस्सा लक्ष्मण को ही नहीं, बल्कि राम तक को आ गया था।

भलमनसाहत एक सीमा तक ही चलती है। बाद में ‘काँटे से काँटा निकालने’ के सिद्धांत को अपनाना पड़ता है। तभी जाकर संतुलन की स्थापना हो पाती है। इसे जानकर ही राम ने लक्ष्मण को न तो परशुराम प्रसंग के समय गुस्सा होने से रोका और न ही बाद में कभी, जब वे गुस्सा हुए? लक्ष्मण एक प्रकार से राम के व्यक्तित्व के पूरक थे। वे उनकी कमी को पूरा करने वाले थे।

ब्लॉग में प्रस्तुत अंश  डॉ. विजय अग्रवाल की जल्द ही आने वाली पुस्तक “आप भी बन सकते हैं राम” में से लिया गया है।

Social Links

  • Facebook
  • Twitter
  • YouTube

Links

  • Photo Gallery
  • In the Media
  • Letters of Praise
  • Feedback

Copyright © VIJAYAGRAWAL.NET.

.

Website by Yotek Technologies