Dr. Vijay Agrawal

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आस्था को मजबूत करें

हमारी आस्था हमारे जीवन की सबसे बड़ी दौलत होती है। हममें यह आस्था पैदा हो, वह आस्था बनी रहे और दिन-प्रतिदिन मजबूत होती जाये, इसके लिए हमें इन कुछ बातों पर ध्यान देना चाहिए –

  • अधिक विश्लेषण करना, अधिक तर्क-वितर्क करना और चीज़ों के बारे में अधिक समीक्षा करना बन्द कर दें। यदि आप ऐसा करने लगेंगे, तो पक्का है कि आपकी आस्था कमजोर होने लगेगी, क्योंकि आखिर ऐसा कौन है जो पूरी तरह परफेक्ट है, यहाँ तक कि भगवान भी नहीं।
  • हम सब भले ही यह क्यों न कहें कि मेरे विचार बहुत ही स्पष्ट हैं, लेकिन उनमें कुछ-न-कुछ विरोधाभास रहता ही है। मुझे ज्यादातर ऐसे लोग ही मिले हैं, खासकर जब वे युवा होते हैं, जो कभी तो कहते हैं कि ईश्वर है और कभी कहते हैं कि वह नहीं है। कभी उन्हें अपना काम बहुत अच्छा लग रहा होता है, तो कभी बुरा। कभी तो वे किसी पर जान लुटाने को तैयार हो जाते हैं, तो कुछ दिनों के बाद उसके कटु आलोचक बन जाते हैं। इस स्थिति से बचना चाहिए, क्योंकि इससे हमारी आस्था की दीवार पर चोट पहुँचती है।
  • आपको अपनी आस्था और कर्म के फर्क को खत्म कर देना चाहिए। उसी कर्म को करें, जिस पर आपकी आस्था हो। ऐसा करने से उस काम से मिलने वाला आनंद कई गुना बढ़ जायेगा।
  • आस्था या तो होती है, या नहीं होती है। यहाँ आधी-अधूरी और खंडित आस्था जैसी कोई बात नहीं होती। सच तो यह है कि उसका चमत्कार देखने को तब ही मिलता है, जब वह हमारे अंदर सम्पूर्ण रूप से मौजूद रहती है।
  • आस्था दूसरी तरह से अनुभव-जगत की बात है। इसे भौतिक रूप से सिद्ध करना असंभव है। हाँ इसके परिणाम जरूर भौतिक होते हैं। इसलिए इसे अपनी भावनाओं का ही सहारा दें, बुद्धि का नहीं।

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