नेतृत्त्व करें, अनुकरण नहीं। ज्यादातर लोग अनुकरण करना चाहते हैं, क्योंकि ऐसा करना सबसे आसान होता है। इसके लिए न तो सोचना पड़ता है और न ही किसी तरह की कोई जहमत उठानी पड़ती है। कोई आगे-आगे चल रहा है, उसके पीछे लग लिये। ऐसे लोग फालोअर बनने का चुनाव करते हैं। यह बात अलग है कि वे चाहते तो यही हैं कि वे नेतृत्त्व करें। लेकिन चूँकि वे कुछ करने से घबराते हैं, इसलिए अपनी जिन्दगी के लिए आसान रास्ता अख्तियार कर लेते हैं। नेतृत्त्व करना आसान रास्ता नहीं है।
नेतृत्त्व करें, का मतलब यह नहीं कि नेता बनें या नेतागिरी करें। नेतृत्त्व करें, का मतलब है सामने आयें। नेतृत्त्व करने का मतलब है, उत्तरदायित्व स्वीकार करें और यदि इसके लिए आपका नम्बर नहीं आ रहा है, तो अपनी ओर से यह कहें कि ‘‘मुझे कुछ जिम्मेदारी दीजिये।’’ मान लीजिए कि आप ग्रूप में कहीं घूमने जा रहे हैं। तो आप इस ग्रूप के लीडर बन सकते हैं। इस ग्रूप के कार्यकर्ता बन सकते हैं। इसके प्लानर बन सकते हैं। लोगों के खाने-पीने की जिम्मेदारी ले सकते हैं। या फिर कोई भी ऐसा दायित्त्व स्वीकार कर सकते हैं, जो लगातार आपको सक्रिय रखे और आपके साथी आपसे उस मामले में पूछते रहें।
देखने में होती तो यह बहुत छोटी-सी चीज हैं, लेकिन दरअसल यह छोटी होती नहीं हैं। इसका असर बहुत गहरा होता है। आप जितनी कम उम्र में इसे अपनी आदत बना लेंगे, आपके व्यक्तित्त्व का उतनी ही अधिक तेजी से विकास होता चला जायेगा। जाहिर है कि ऐसा करने से ही आपको यह लगेगा कि ‘‘मैं ऐसा कर सकता हूँ’’। इससे आपके अनुभव-जगत का विस्तार होगा। आप सीख सकेंगे कि प्लान कैसे किया जाता है। आप जान सकेंगे कि निर्णय कैसे लिये जाते हैं। आपमें क्षमता पैदा हो सकेगी कि जब कोई समस्या खड़ी होती है, तो उसका हल कैसे निकाला जाता है। यह गुण आगे चलकर बहुत काम आता है। सच तो यह है कि आगे चलकर ऐसे ही गुण काम में आते हैं।