कहा जाता है कि इस धरती को बने हुए लगभग 6 अरब साल हो गये हैं, और इस पर जीव की उत्पत्ति को लगभग 4–5 करोड़ साल। यह ब्रमाण्ड इतना बड़ा है कि अभी तक इसका ओर–छोर ही पता नहीं लग पाया है। लेकिन हमें जितना कुछ भी पता है, उसके आधार पर मैं आपसे पुछूं कि प्रकृति की सबसे उत्कृष्ट रचना क्या है? तो आपका उत्तर क्या होगा। यहाँ मैं अपने इस प्रश्न का उत्तर देने नहीं जा रहा हूँ। अपना उत्तर आपको ही ढूँढना है, क्योंकि सबके अपने–अपने उत्तर होंगे। अब मैं आपके सामने कुछ उन जीव–जन्तुओं से जुड़ी सच्चाईयों को परोसने जा रहा हूँ जिन्हें हम सभी बहुत उपेक्षित मानते हैं। हम इन्हें ज्यादा महत्व नहीं देते। फिर भी आप यहाँ इनकी कुछ अद्भूत–रोचक विशेषताओं से मुलाकात करें।
- िस्सु अपने शरीर की लम्बाई के 350 गुना अधिक लम्बाई तक कूद सकता है। यह उसी प्रकार है कि कोई आदमी फुटबाल के मैदान के पार कूद लगाये।
- छोटी सी चीटीं बहुत मेहनती होती है। वह अपने वजन का 50 गुना वजन उठा सकती है। मजेदार बात यह है कि चीटीं सुबह उठने पर जम्हाई लेती है।
- तिलचा एक घण्टे में तीन किलोमीटर तक भाग सकता है। यह 40 मिनट तक अपनी साँस रोक सकता है, और एक सप्ताह तक बिना सिर के जीवित रह सकता है।
- मछली ही एक ऐसा जीव है, जो कभी भी अपनी आँखें बन्द नहीं करती। इसलिए देवी को मीनाक्षी कहा गया है–मछली जैसी आँखों वाली।
- अंटाकर्टिका के एडेली पेंग्विनों के पास तोहफे देने के लिए ज्यादा चीजें नहीं होती। किन्तु न पेंग्विन पत्थरों के नीचे खोजता रहता है, और चिकना पत्थर मिलते ही इसे अपनी प्रियतमा के कदमों में डाल देता है।
- साँप के पास इनरेड डिटेक्टर होती हैं, जिनमें वातावरण में 00 0010 से. तक के तापमान के अन्तर को जान लेने की क्षमता होती है।
- बायसन यूं तो झुंड में रहने वाला पशु है। लेकिन यदि वह अपने से शक्तिशाली जानवर से मात खा जाता है तो वह अकेले रहने लगता है।
- सिर्फ साढ़े तीन इंच लग्बी हसिंगबर्ड में जबर्दस्त ऊर्जा होती है। यह साल मे दो बार दक्षिण कनाडा से पनामा तक की लम्बी यात्रा करती है।
ऐसे बहुत से जीव–जन्तु हैं, जिनमें कोई न कोई विलक्षणता है। मैं अब उस लम्बी लिस्ट पर नहीं जाना चाहता। यहाँ मेरा आपसे केवल यह निवेदन है कि यदि आप मेरे इस उत्तर से थोड़ा सा भी इत्तफाक रखते हैं कि ‘मनुष्य प्रकृति की सर्वोत्तम कृति है’, तो आपको मेरी इस बात को भी मानना चाहिए कि जब तुच्छ जीव–जन्तु में विलक्षणता है, तो सर्वोत्तम रचना में तो होगी ही होगी। बस, इतना मानने के बाद अब आपको अपनी विलक्षणता की खोज में लग जाना चाहिए, क्योंकि आप में भी ऐसा कुछ है। वह खो गई है। उसे खोजिये। जिन्दगी बदल जायेगी।